रविवार 28 सितंबर 2025 - 17:30
शहीद सैयद हसन नसरल्लाह की पहली बरसी पर छोटा इमामबाड़ा लखनऊ में मजलिस

हौज़ा / लखनऊ, 27 सितम्बर 2025, लखनऊ के ऐतिहासिक छोटे इमामबाड़े में शहीद सैयद हसन नसरल्लाह की पहली बरसी के अवसर पर विभिन्न तंज़ीमों की जानिब से एक यादगारी मजलिस का आयोजन किया गया। इस मजलिस में शहर और बाहर से आए उलेमा और विद्वान सहित विभिन्न धर्मों के लोगों ने भी शिरकत कर शहीद को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,लखनऊ, 27 सितम्बर 2025,
लखनऊ के ऐतिहासिक छोटे इमामबाड़े में शहीद सैयद हसन नसरल्लाह की पहली बरसी के अवसर पर विभिन्न तंज़ीमों की जानिब से एक यादगारी मजलिस का आयोजन किया गया। इस मजलिस में शहर और बाहर से आए उलेमा और विद्वान सहित विभिन्न धर्मों के लोगों ने भी शिरकत कर शहीद को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस मौके पर खिताब करते हुए मौलाना सैयदुल हसन नक़वी साहब ने कहा कि शहीद हसन नसरल्लाह ने लगातार 30 वर्षों तक मज़लूमों की हिमायत और ज़ालिमों के खिलाफ अपनी ज़िंदगी गुज़ारी। मौलाना मुस्तफ़ा मदनी साहब ने शहादत की अहमियत पर रौशनी डालते हुए कहा कि ज़ालिम हमेशा शहादत के सामने मजबूर हो जाता है और शहीद हसन नसरल्लाह ने बेमिसाल शहादत पेश की |शाहिद कमाल साहब ने सैयद हसन नसरल्लाह की शहादत पर अशआर पेश किये |

स्वतंत्र पत्रकार अमरेश मिश्रा, जो बेंगलुरु से तशरीफ़ लाए, ने कहा कि शहीद हसन नसरल्लाह पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल हैं। जिस तरह उन्होंने ज़ालिम ताक़तों का मुकाबला किया, यही वजह है फिलिस्तीन के साथ पूरा विश्व खड़ा दिख रहा है  यही उनके खून का असर है और इजराइल के जो कुकर्म पूरी दुनिया में उजागर हो रहे हैं  वह शहीद का ख़ून कारण है |

मजलिस की निज़ामत मौलाना हैदर अब्बास रिज़वी साहब ने की। उन्होंने अरज़ किया कि “शहीद ने अपनी ज़िंदगी, इमाम हुसैन (अ.स.) के रास्ते पर चलते हुए गुज़ारी और यही उनकी शहादत का असल पैग़ाम है।

आखिर में मजलिस मौलाना मुशाहिद आलम साहब ने  ख़िताब की और कहा दुनिया मझे लौह पुरुष समझती है लेकिन मेरे लिए अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई  लौह पुरुष हैं और आखिर में हज़रत अब्बास (अ.स.) के मसाएब बयान किए।

मजलिस में मौलाना मोहम्मद अली जैदी, मौलाना तनवीर अब्बास, मौलाना तसनीम मेहदी, मौलाना आदिल फ़राज़, मौलाना रज़ा इमाम, मौलाना सलीम, मौलाना मोहम्मद अब्बास, मौलाना मंज़र सादिक, मौलाना मोहम्मद हसन, मौलाना सक़लैन बाक़री, मौलाना अब्बास असगर सबरेज़, मौलाना अहमद हसन, मौलाना अदील हसन और मौलाना अकील साहब समेत कई उलमा ने शिरकत की।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha